बुल्डोजर लोकतंत्र को बुल्डोज करता है
खियाली के पड़ोस में एक अपराधी का घर था। मगर वह ख़ानदानी अपराधी नहीं था। वह पहले एक साधारण लड़का था। जब वह सातवीं कक्षा में था तो उसको कुछ छात्रों ने मिल कर पीटा था। उसकी इतनी पिटाई हुई कि वह अधमरा हो गया था। दरअसल वह पढ़ने में बहुत तेज था, इसलिए कक्षा के सभी लड़के- लड़कियाँ उसे अच्छी निगाह से देखते थे। एक दिन दूसरे गाँव की एक लड़की ने एक ख़त थमा दिया जिसमें घिसी पिटी भाषा में प्यार का इज़हार था । चिट्ठी की शुरुआत ‘ लिखती हूँ ख़त खून से हुआ था’ हुई थी और अंत ‘ आई लव यू ‘ से।गॉंव के लिए यह बहुत अस्वाभाविक बात थी। कहा जाता है कि ‘खैर, खून , खाँसी, ख़ुशी, बैर ,प्रीत , मधुपान ‘ लाख छिपाने के बाद नहीं छिपते । यह प्रेम कथा अभी अंगराई लेती ही कि लीक हो गई । वह लड़की किसी और जात की थी और लड़का किसी और जात का। इसलिए बीच में जाति की नाक तन गयी। लड़के की पिटाई के बाद उसका मन पढ़ाई से विरक्त हो गया। उसने स्कूल छोड़ा और पीटनेवाले से बदला लेने के बारे में जुगाड़ करने लगा। उसने बदला लिया भी। पीटने वालों में एक को उसने एक कुँए में धकेल दिया जिससे उसकी मृत्यु हो गयी । लड़का उस दिन से गाँव से फ़रार हो गया। उसके बारे में क़िस्से कहानियाँ सुनाई पड़ती थीं, लेकिन वह लौट कर नहीं आया।उसके माता-पिता रोते रहे। एक भाई और बहन भी थे। दिन, महीने और साल बीतते गये।
अपराध की दुनिया में कोई एक बार घुस जाता है, तो फिर बाहर आना मुश्किल है । आश्चर्य यह था कि जिसने भी उसे पीटा था। एक एक को उसने मारा। इसके बाद उसका अपराध फैलता चला गया। कहा जाता है कि उसके हाथ बहुत लंबे होते चले गये और उन हाथों में विधायक, मंत्री समाते गये। एक दिन खियाली ने देखा कि वह मंत्री के साथ बैठा है । उसके मन में सवाल आया कि अपराधी तो अपराधी है ही, मंत्री क्या कम बड़ा क्रिमिनल है? एक उजागर है , दूसरे परदे में है। तभी एक दिन अख़बारों में एक खबर आग की तरह फैली कि राजधानी के एक धन्नासेठ का अपहरण हो गया है। धन्नासेठ का व्यापार कई क्षेत्रों में फैला था। वे शराब का भी व्यापार करते थे और नशा विरोधी केंद्र भी खोल रखा था। उन्होंने शहर के कई अपार्टमेंट बनवाये थे। मसलन- सौरभ अपार्टमेंट बेटे के नाम पर था। बेटी के नाम महामाया अपार्टमेंट था । स्वर्गीया पत्नी को वे कैसे भूलते? उन्होंने उसके नाम पर बिंध्यवासिनी अपार्टमेंट बनवाया था। किस्सा यह भी प्रचलित था कि उनकी पत्नी किचन में जल मरी थी। बाहर तो क़िस्सा यही आया कि गैस लीक होने के कारण आग लगी थी, लेकिन आस पड़ोस में खबर फैली कि सेठ ने उसे जला दिया था। जो भी हो धन्नासेठ सिर्फ़ धन्नासेठ नहीं था। उसके गहरे संबंध नेताओं से था। एकाध बार वे विधान परिषद के सदस्य भी रहे। जो भी ज़िलाधिकारी बन कर आता। वे उनके पास पहुँच कर खुश होते। वे अच्छे चंदा दाता भी थे। क्रिकेट में वे दिल खोल कर चंदा देते थे ।धार्मिक समारोह में उनका उत्साह देखते बनता था। राजनेताओें के सहयोग के बिना व्यापार का फूलना फैलना असंभव था, सो वे उनको ख़ुश करते ही रहते थे। पार्टी फंड में चंदा भी देते और नेताओं के लिए एक ‘ सांस्कृतिक समारोह ‘ भी आयोजित करते। उनके दिन मज़े में गुजर रहे थे कि उनका अपहरण हो गया।
अपहरण की खबर पर न केवल थाने की घंटी घनघनायी, बल्कि मुख्यमंत्री दरबार में भी हलचल मची। अख़बारों में संभावित अपराधियों के नाम आने लगे जिसमें उसका भी नाम था। सरकार अपराधियों को पकड़ना चाहती थी , लेकिन पकड़ में नहीं आ रहा था। आता भी कैसे? उनके दरबार के ही तो कई नेता अपराधियों के भेदिया थे। मुख्यमंत्री को लगा कि उसे अपने इक़बाल क़ायम करने के लिए कुछ करना चाहिए । उसने बुल्डोजर को बुलाया और उस लड़के के घर गिराने के लिए भेज दिया ।बुल्डोजर को आँखें तो होती नहीं । उसने बूढ़े माता-पिता को घर से खींचकर घर को धराशायी कर दिया। घर के धराशायी होने पर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया थी। कोई खुश था तो कोई नाराज़ ।
खियाली ने सवाल किया क्या घर गिराने से अपराध रूक जायेगा? अपराधी की शिनाख्त नहीं हुई और उसका वह घर गिरा दिया, जहॉं वर्षों पूर्व रहता था। इससे क्या होगा? जात पात रहेगा ही। अपेक्षा तिरस्कार बना रहेगा , तब अपराध कैसे ख़त्म होगा ? और फिर न्यायपालिका क्या करेगी , जब न्याय के नाम पर यह खेल होगा? यह सब सोच कर खियाली इस निर्णय पर आया कि दरअसल सरकार अपराध मिटाना नहीं चाहती, लोकतंत्र को बुल्डोज करना चाहती है ।