Blog बाढ़ में भंसते भक्त और भगवान The Dialogue Oct 1, 2024 0 मंदिर भी डूब रहे, मस्जिद भी। बाढ़ किसी की नहीं सुन रही। वह अंधी, बहरी, गूँगी हो गयी है। लोग लाख मनाने की कोशिश करते हैं, वह मान ही नहीं रही है। हर दिन उसका रौद्र रूप डराता है जन मानस को।
इन दिनों पानी रे, पानी तेरा रंग कैसा The Dialogue Sep 15, 2024 0 गांव के हर घर में या तो आरो है या डिब्बे का पानी। धरती के पानी का दो ही उपयोग है - या तो बाथ रूम में या फिर सिंचाई में।