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जीवन का मूल्यबोध दौलत नहीं, इंसानियत है

आज दौलत अर्जित करने के लिए आपाधापी मची हुई है। दौलत, दौलत, दौलत चाहे कैसे भी हो, दौलत अर्जित करना है। क्यों नहीं? दौलत से ही शोहरत मिलती है। यही शोहरत हासील करना जीवन का चरम लक्ष्य बन चुका है। शिक्षा का उद्देश्य भी दौलत जमा करना भर रह गया…