प्रशांत किशोर के नाम एक चिठ्ठी
आपके सामने इस जन शक्ति को एक ऐसे प्रतिरोधात्मक शक्ति के रूप में विकसित करने का सुनहला मौका था। जनता की यह प्रतिरोधातत्मक शक्ति से सर्व ग्रासी पूंजीवादी व्यवस्था को उखाड़ा जा सकता था। समानता और भाईचारे के आधार पर एक नई समाज व्यवस्था स्थापित…