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Politics

आक्समिक नही है नेताओं का चारित्रिक अवमूल्यन

देश में आजादी आंदोलन चल रहा था। अपने नेता के आह्वान पर झुंड के झुंड युवक व युवतियां आंदोलन में शामिल हो रहे थे। अपने प्राणों की आहुति दे रहे थे। उनके दिलों में अपने नेताओं के प्रति बड़ा सम्मान भाव था। तब नेताओं में खुदगर्जी की कोई भावना…

छात्रों का राजनीति में शामिल होना जरूरी

"जब वक्त पड़ा गुलिस्तां को, खूं मैंने दिया, अब बहार आई तो कहते, तेरा काम नहीं'। यह कथन उन राजनेताओं के लिए बिल्कुल सटीक है जो छात्र-युवाओं की कुर्बानी के बल पर सत्ता हासिल करने के बाद उनको राजनीति से अलग रहने की नसीहत देते हैं।

बिहार में बाढ़ पीड़ितों का हक मार रहे अधिकारी

बाढ़ पीड़ितों के लिए चलाए जा रहे समुदाय किचन की जांच की और अन्य सरकारी सुविधाओं का भी जायजा लिया। इस दौरान कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने कहा कि सभी बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में सरकारी सुविधा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।

अंधेरे में आँख

शिक्षा तो राजनीति के शिकार है। जबकि शिक्षा को ही राजनीति का मार्गदर्शक होना चाहिए। लेकिन वह मार्गदर्शक कैसे होगी

हरियाणा का सियासी महाभारत

हरियाणा आज अपने भविष्य निर्माताओं का चुनाव कर रहा है। चुनाव में होश और विवेक की अपेक्षा की जाती है। अक्सर इसके विपरीत ही जनता का व्यवहार सामने आता है। अमूमन जनता बदलाव के पक्ष में खड़ी होती है। पब्लिक परिवर्तन ही पसंद करती है। रिपीट का मतलब…

प्रशांत का जन सुराज: एक गोदी-मूवमेंट

सामाजिक-न्याय के सवाल पर प्रशांत मौन क्यों है? क्या जन सुराज का राजनीतिक बदलाव ही बिहार के सांस्कृतिक-बदलाव का आधार बनेगा? इस प्रशांत-रेखा को समझना जरूरी है. प्रशांत यही साबित करना चाहते हैं कि जिस समूह के पास धन होगा और ऊँची पहुँच होगी,…

क्रांति की भ्रूणहत्या के अपराधी

देश है, यहाँ क्रांति की दुंदुभी बजती ही रहती है। मैं भी कई बार इस दुंदुभी के शिकार हुआ। दुंदुभी मोहती तो है ही। 1974 में यह दुंदुभी बहुत ज़ोर से बजी थी। अनेक युवाओं की जवानी इस पर भेंट चढ़ गई।

भाजपा: भगवती जागरण पार्टी !

राजनीति को पहले अपना धर्म निभाना चाहिए। जो काम मठ और मंदिर का है, साधु और महात्मा का है, वह काम सरकार न करे। अधार्मि-आचरण लेकर अधार्मिक-अभियान में शामिल होना अशोभनीय है, इसे कतई सराहा नहीं जा सकता है।

झारखंड में प्रवासी पक्षी

2000 के पहले झारखंड बनाओ रैली होती थी, अब झारखंड बचाओ रैली हो रही है। राजनीति में रैली ज़रूरी होती है। रैलियों से पता चलता है कौन पार्टी जीवित है और कौन मर गयी