Browsing Tag

poem

मन की बात

आँखें मूँद कर मुहब्बत को महसूस करने की कई बार कोशिश की..एक बार तो यूँ लगा जैसे कैलाश मानसरोवर की ऐसी घाटी में अकेले विचर रही हूँ