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Jharkhand Elections

चुनाव के बोझ से दबा लोकतंत्र

नेताओं की जीभ जब फिसलने लगे। इनके अनाप-शनाप बयान आने लग जाए। हिन्दू-मुसलमान, जातीय और साम्प्रदायिक दंगे भी होने लग जाए। ईडी, सीबीआई एक्टिव हो जाए। कुछ नेता और कार्यकर्ताओं के मारे जाने की खबर भी आने लग जाए तो आप अंदाजा लगाने में देर नहीं…

झारखंड में प्रवासी पक्षी

2000 के पहले झारखंड बनाओ रैली होती थी, अब झारखंड बचाओ रैली हो रही है। राजनीति में रैली ज़रूरी होती है। रैलियों से पता चलता है कौन पार्टी जीवित है और कौन मर गयी