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आक्समिक नही है नेताओं का चारित्रिक अवमूल्यन

देश में आजादी आंदोलन चल रहा था। अपने नेता के आह्वान पर झुंड के झुंड युवक व युवतियां आंदोलन में शामिल हो रहे थे। अपने प्राणों की आहुति दे रहे थे। उनके दिलों में अपने नेताओं के प्रति बड़ा सम्मान भाव था। तब नेताओं में खुदगर्जी की कोई भावना…

रावण दहन तो हो गया, लेकिन —–!

अगर हम वर्तमान परिवेश में शक्ति की पूजा को बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य की जीत और नारी-अस्मिता की रक्षा की दृष्टि से देखें तो जो स्थिति नजर आती है, वह बड़ी डरावनी है।

सीता और शूर्पणखा

दुर्गा पूजा ख़त्म हो गया। सड़कों पर उमड़ी भीड़ अपने-अपने घरों में सिमट गई। वे बैनर, पोस्टर, सजावट सबके सब धुँधले पड़ गये। जगह वही है, स्थान ज़रा भी नहीं खिसका, लेकिन एक सजी दुनिया खिसक गई।

ई वी एम संदिग्धता: या इलाही ये माजरा क्या है?

हरियाणा विधानसभा चुनाव के अप्रत्याशित परिणामों ने पूरे देश के न केवल सभी प्रमुख एजेंसीज़ द्वारा किये गए एक्ज़िट पोल्स को बुरी तरह झुठला दिया बल्कि बड़े-बड़े राजनैतिक विश्लेषकों को भी हैरानी में डाल दिया।

अमर हो गए मल्लिकार्जुन !

मल्लिकार्जुन को स्वनामधन्य होना चाहिए, पर ये तो उल्टी दिशा में चल पड़े हैं ? इनके मुख से बयानों की जो मिनरल धारा बह रही है वह निर्मल नहीं, बल्कि मिनरल राजनीति को ही जन्म दे रही है? पाखंड पवित्रता का प्रतीक नहीं होता। मोदी को हटाये बिना प्राण…

बाढ़ में भंसते भक्त और भगवान

मंदिर भी डूब रहे, मस्जिद भी। बाढ़ किसी की नहीं सुन रही। वह अंधी, बहरी, गूँगी हो गयी है। लोग लाख मनाने की कोशिश करते हैं, वह मान ही नहीं रही है। हर दिन उसका रौद्र रूप डराता है जन मानस को।

समाज को आज जरूरत है एक अदद ‘सूरदास ‘की

किसी रचनाकार की कृतियों का सही मूल्यांकन उसके समय की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पृष्ठ भूमि को नजर अंदाज कर नहीं किया जा सकता। लेखक ने जिन राजनीतिक-सामाजिक परिस्थितियों में इस उपन्यास को लिखा है, वह देश के आजादी आंदोलन का दौर था।

सत्ता विरोधी लहर के साथ भीतरी कलह से भी जूझती भाजपा

भारतीय जनता पार्टी की ओर से पिछले दिनों चुनाव प्रचार के दौरान ही कई ऐसे संकेत मिले जो पार्टी नेताओं के मतभेदों को स्पष्ट रूप से उजागर करने वाले हैं

गोबर लपेसने के यज्ञ में बूढ़े

कोरोना देश में फैला था तो लोग दहशत में थे। आदमी-आदमी के पास नहीं जाना चाहता था। किसी को छींक हुई कि लोग भयभीत हो जाते थे। लगता था कि कोरोना दस्तक दे रहा है। ऐसे मौसम में बहुत से ज्ञानी जनम ले लेते हैं।