सामने की सड़क पर दो-तीन छोटे बच्चे साइकिल से प्रतिस्पर्धात्मक दौड़ लगा रहे थे। उनमें एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ थी। वैसे भी मनुष्य का जीवन आजकल एक-दूसरे को पछाड़, आगे निकल जाने की होड़ को समर्पित हो चुका है। बच्चे क्यों अपवाद बनें?
मौसम का मिजाज देख सत्ता भी अपना मिजाज बदल रही है। सत्ता फिर करवट लेगी या किस करवट लेगी ? जितना मुँह उतनी बातें हो रही है। राजग गठबंधन पर भदवा लगता दिख रहा है। आशंकाओं के बादल उमड़-घुमड़ रहे हैं। सत्ता बदलने के पहले जैसा वातावरण होता है या…
आज से लगभग पचास साल पहले एक नारा बहुत ही बुलंद था-अँधेरे के तीन प्रकाश ! गाँधी लोहिया जयप्रकाश !! बिहार में गूंजता वह नारा अब बदल गया है।अँधेरे के अब तीन प्रकाश ही नहीं,बल्कि चार प्रकाश हो गए हैं? इस नारे में नया नाम अब बाबासाहेब आंबेडकर का…