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प्रशांत किशोर के नाम एक चिठ्ठी

आपके सामने इस जन शक्ति को एक ऐसे प्रतिरोधात्मक शक्ति के रूप में विकसित करने का सुनहला मौका था। जनता की यह प्रतिरोधातत्मक शक्ति से सर्व ग्रासी पूंजीवादी व्यवस्था को उखाड़ा जा सकता था। समानता और भाईचारे के आधार पर एक नई समाज व्यवस्था स्थापित…

आओ, पार्टी-पार्टी खेलें

पूंजीवादी अर्थनीति के चरित्र से नावाकिफ रहने वाले इसे नहीं समझ पाएंगे, अर्थनीति व्यवस्था क्रांति से बदलती है चुनाव से नहीं..

लोक की उजड़ती दुनिया के गुनहगार

बिहार में पूर्व में कई नर संहार हुए। कोर्ट में मामला गया। कोर्ट में ज्यादातर मामलों में पुलिस साक्ष्य नहीं जुटा पाई या जुटाने नहीं दिया गया। कहा जाता है कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं, लेकिन बिहार के नरसंहार उनकी लंबाई नापता रहा और वह…

बिहार में बयानों के बयार हैं,निशाने पर नीतीशे कुमार हैं

मौसम का मिजाज देख सत्ता भी अपना मिजाज बदल रही है। सत्ता फिर करवट लेगी या किस करवट लेगी ? जितना मुँह उतनी बातें हो रही है। राजग गठबंधन पर भदवा लगता दिख रहा है। आशंकाओं के बादल उमड़-घुमड़ रहे हैं। सत्ता बदलने के पहले जैसा वातावरण होता है या…