सिर्फ ऐतिहासिक दस्तावेज़ीकरण तक सीमित नहीं है राष्ट्रीय अभिलेखागार

संग्रहीत और संवर्धित करने की दृष्टि से राष्ट्रीय अभिलेखागार जैसी गौरवपूर्ण संस्था महत्वपूर्ण

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साधना राणा
(स्वतंत्र लेखिका,संस्कृति कर्मी)

मानव इतिहास के लम्बे कालखंड में लगभग १४०० ई॰ पू॰ मध्य एशिया के “बोगजकोई” नामक स्थान से प्राप्त हुए प्राचीनतम अभिलेख पर राजाओँ के मध्य एक संधि का उल्लेख है जिसमे राजाओँ ने वैदिक युगीन देवताओं को साक्षी माना था। ठीक ऐसे ही दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व ओडिशा के उदयगिरि पहाड़ी पर स्थित हाथीगुम्फा से प्राप्त शिलालेख में सबसे पहले “भारतवर्ष” शब्द का उल्लेख मिलता है। दरअसल ऐतिहासिक विकास क्रम में अभिलेखों का महत्व ठीक वैसा ही रहा है जैसे दर्शन और ज्ञान परंपरा में श्रुति और स्मृति का रहा है । किसी भी समय और स्थान के इतिहास के अध्ययन में अभिलेखों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है । इतिहास के इसी संभावित विरासत को एक प्रमाणिक स्रोत के रूप में संग्रहीत और संवर्धित करने की दृष्टि से राष्ट्रीय अभिलेखागार जैसी गौरवपूर्ण संस्था की उपस्थिति और योगदान बेहद महत्वपूर्ण है । भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक संबद्ध कार्यालय है जिसकी स्थापना 11 मार्च 1891 को कोलकाता (कलकत्ता) में इंपीरियल रिकॉर्ड विभाग के रूप में की गई थी । 1911 में राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित होने के बाद, वर्तमान राष्ट्रीय अभिलेखागार भवन का निर्माण 1926 में हुआ, जिसे सर एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया था। कोलकाता से नई दिल्ली तक सभी अभिलेखों का स्थानांतरण 1937 में पूरा हुआ। वर्तमान में राष्ट्रीय अभिलेखागार में 34.00 करोड़ से अधिक सार्वजनिक अभिलेखों का संग्रह है, जिसमें फाइलें, वॉल्यूम, नक्शे, राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित विधेयक, संधियाँ, दुर्लभ पांडुलिपियाँ, प्राच्य अभिलेख, निजी कागजात, मानचित्रीय अभिलेख, गजेट्स और गजेटियर्स का महत्वपूर्ण संग्रह, जनगणना अभिलेख, विधानसभा और संसद की बहसें, प्रतिबंधित साहित्य, यात्रा वृत्तांत आदि शामिल हैं। प्राच्य अभिलेखों का एक बड़ा हिस्सा संस्कृत, फारसी, ओड़िया आदि भाषाओं में है ।

ऐतिहासिक दस्तावेज़ीकरण के संदर्भ में आम लोगों के लिए अनुपलब्ध दस्तावेजों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने की दिशा में पिछले कुछ वर्षों से राष्ट्रीय अभिलेखागार अपने तकनीकी प्रयोगों के माध्यम एक महत्वपूर्ण योजना पर काम कर रहा है । वर्तमान महानिदेशक श्री अरुण सिंघल के नेतृत्व में राष्ट्रीय अभिलेखागार अगले 15 अगस्त, 2026 तक लगभग 34 करोड़ पृष्ठों को डिजीटाइज कर अभिलेख पटल पर डालने की भावी योजना को मूर्त रूप देने में संलग्न है । प्रतिदिन लगभग छः लाख पृष्ठों को डिजिटाइज किया जा रहा है । ऐतिहासिक सूचनाओं के एक व्यापक संग्रह को आम लोगों के लिए उपलब्ध कराना निःसंदेह संस्कृति मंत्रालय सहित राष्ट्रीय अभिलेखागार के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगी । इसके साथ ही राष्ट्रीय अभिलेखागार शोधार्थीयों के लिए उपयोगी संसाधनों और सूचना व्यवस्थाओं पर काम कर रही है और साथ ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की दिशा में भी निरन्तर कार्यरत है । इसके साथ सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि समय समय पर भारत सरकार और विशेषकर संस्कृति मंत्रालय के अन्य प्रभावी योजनाओं को अपनी दृष्टि अभिव्यक्ति में प्रभावशाली तरीके से जगह देने और उसका सफल क्रियान्वयन में भी राष्ट्रीय अभिलेखागार की महती भूमिका है ।

देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रीय स्वच्छता संबंधी विशिष्ट अवधारणा को संस्थागत रूप देने हेतु और मंत्रालयों एवं अन्य कार्यालयों में कार्य प्रणाली को मजबूती देने के लिए 1 अक्टूबर को राष्ट्रीय अभिलेखागार संग्रहालय में “सुशासन और अभिलेख” शीर्षक से एक महत्वपूर्ण प्रदशर्नी का आयोजन हुआ जिसका उद्घाटन केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने किया और साथ ही इस प्रर्दशनी का अवलोकन करते हुए एक महत्वपूर्ण बैठक में उन्होंने व्यवस्था की समीक्षा भी की । विदित हो कि राष्ट्रीय अभिलेखागार में यह प्रदर्शनी महानिदेशक श्री अरुण सिंघल और सचिव श्री वी श्रीनिवास के संरक्षण तथा सहायक अभिलेखागार निदेशक डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा के कुशल नेतृत्व में आयोजित हुआ है । स्वच्छ-भारत अभियान के अंतर्गत सन् 2021 से 2024 के बीच भारत सरकार के 11 मंत्रालयों / विभागों द्वारा ऐतिहासिक महत्व की लगभग 74,000 फाइल्स का स्थानान्तरण राष्ट्रीय अभिलेखागार को किया गया. इस प्रदर्शनी के माध्यम से राष्ट्रीय अभिलेखागार द्वारा इनमे से 11 मत्रांलयों / विभागों के नव-आगत महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अभिलेखों में सुशासन की एक झांकी प्रस्तुत की गई है । प्रदर्शनी में सम्मिलित मंत्रालयों के क्रमश: नाम रहे राष्ट्रपति सचिवालय, चुनाव आयोग, रेल मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय, विधि एवं न्याय मंत्रालय, उर्जा मंत्रालय, संसदीय कार्य मंत्रालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय, पेटेंट कार्यालय और प्रेस सूचना ब्यूरो ।

इस विशिष्ट आयोजन पर राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक श्री अरुण सिंघल ने अपने वक्तव्य में कहा — स्वच्छता एवं सुशासन सुखी जीवन का आधार है. सामाजिक परिवेश में, आचरण में, लोक व्यवहार में, निजी जीवन में तथा जन-कल्याण कार्यक्रमों में स्वच्छता एवं सुशासन का महत्त्व सर्वविदित है । पिछले 10 वर्षों में भारत सरकार ने स्वच्छता को एक अभियान के रूप में चलाया है जिसके अनेक सकारात्मक पहलू हैं । जहां सामाजिक एवं आर्थिक जीवन तथा जन-स्वास्थय पर इसके महत्वपूर्ण प्रभाव का प्रत्यक्ष अनुभव होता है वहीं इस अभियान का एक ऐसा पहलू भी है जिसकी चर्चा भले ही कम हुई है, किन्तु जिसने देश के इतिहास को बहुत समृद्ध किया है । वहीं सहायक अभिलेखागार निदेशक डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा ने इस महत्वपूर्ण प्रदर्शनी के संदर्भों को रेखांकित करते हुए कहा – अभिलेख और सुशासन अभियान के अंतर्गत भारत सरकार के मंत्रालयों, विभागों व अन्य उपक्रमों में पुराने अभिलेखों की समीक्षा, निस्तारण, मूल्यांकन तथा स्थाई महत्व के ऐतिहासिक अभिलेखों को राष्ट्रीय अभिलेखागार को सौंपने का निर्णय बेहद महत्वपूर्ण रहा है । निश्चित रूप से राष्ट्रीय अभिलेखागार भारत सरकार के लोक अभिलेखों के प्रबंधन व ऐतिहासिक महत्व के अभिलेखों के संरक्षण हेतु उत्तरदाई है । इस तकनीकी समय में वही संस्थाएं महत्वपूर्ण बनी रहेगी जिनके पास सूचना का भंडार ज्यादा होगा  । और इस संदर्भ में राष्ट्रीय अभिलेखागार के योगदान को वर्तमान व्यवस्था के सफल संरक्षण में विशेष रूप से चिह्नित करने की जरूरत है ।

बाहरी तौर पर भले ही राष्ट्रीय अभिलेखागार की उपस्थिति देश की गौरवशाली विरासत और इसके ऐतिहासिक दस्तावेज़ीकरण के संरक्षण के रूप में दिख पड़ता है लेकिन सच बात तो यह कि अपने नये रचनात्मक और तकनीकी प्रयोगों के कारण न सिर्फ यह संस्था हमारे अतीत को संरक्षित करती है बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विचारधाराओं को अपने वर्तमान प्रमाणिक स्रोतों से पुष्ट करती हुई आने वाले कल में राष्ट्र निर्माण की नयी संभावनाओं की एक ठोस जमीन तैयार करती भी दिखती है ।

साधना राणा
(स्वतंत्र लेखिका / संस्कृति कर्मी)
(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं
जवाबदेह है। इसके लिए The Dialogue उत्तरदायी नहीं है।)
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