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महान गुरु राधाकृष्ण सहाय की जयंती : स्मरण
उन्होंने ज्यादातर शैक्षणिक कार्य भागलपुर विश्वविद्यालय में ही किया। दो वर्ष शांतिनिकेतन में रहे और पांच वर्ष हुम्बोल्ट विश्वविद्यालय, जर्मनी में विजिटिंग प्रोफेसर रहे।
परस्परावलंबित गांव ही कर पाएंगे वैश्वीकरण की चुनौतियों का सामना
भारत गांवों का देश है। यहां के रीति-रिवाज, परम्परा, उन्नत संस्कृति और आपसी भाईचारे की भावना गांव की पहचान रही है। वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में गांव की वह पहचान मिटने लगी है। आपसी रिश्तों में दरारें पड़ चुकी हैं।
कुर्सी केजरीवाल की ?
आदर्श और मर्यादा का दबाव बहुत बड़ा दबाव होता है। इससे निकलने का कोई रास्ता न दिखाए पड़े तो व्यक्ति हो या संस्थान हो, वह पाखंडी होने लगता है। यही स्थिति आज आम आदमी पार्टी की है।
राहुल गांधी बोले: – ‘मोदी अब पहले की तरह नहीं रह गए’
'आज हम सभी जानते हैं कि नफरत को खत्म करने के लिए हमें मोहब्बत की जरूरत है।
राजा भरत की तरह…कुर्सी खाली रखकर आतिशी ने संभाला दिल्ली का कार्यभार
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने सीएम पद की कमान संभाल ली है. सीएम आतिशी आज पहली बार दिल्ली सचिवालय पहुंची
पब्लिक पालिका: स्थानीय लोकतंत्र और आर्थिक सशक्तिकरण का नया युग
एक ऐसी दुनिया, जहाँ लोगों की आवाज़ न केवल सुनी जाती है, बल्कि वह सीधे तौर पर इस बात को प्रभावित करती है कि संसाधनों का प्रबंधन कैसे हो, करों का आवंटन कैसे किया जाए, और सार्वजनिक सेवाओं का वितरण कैसे किया जाए।
हमारी विनाश सामग्री हमारी ही जेब में ?
जब से मोबाईल फ़ोन प्रचलन में आया है तब से देश में ऐसे सैकड़ों हादसों की ख़बरें आईं जिनसे पता चला कि मोबाइल फ़ोन में ब्लॉस्ट हो गया। कभी उनकी बैटरी ओवर हीट होकर फट गयी तो कभी चार्जिंग में लगे सेलफ़ोन में विस्फ़ोट हो गया।
ऐसे छिनी गई अन्नदाताओं की आत्मनिर्भरता
हरित क्रांति से देश खाद्यान्न उत्पादन मामले में आत्मनिर्भर ही नहीं, निर्यात करने की स्थिति में आ गया। लेकिन अन्नदाता किसानों का क्या हुआ ? वे लगातार फटेहाल रहने लगे।
जयंती पर दिनकर की याद
देखने में देवता सदृश्य लगता है
बंद कमरे में बैठकर गलत हुक्म लिखता है।
जिस पापी को गुण नहीं गोत्र प्यारा हो
समझो उसी ने हमें मारा है॥
निडर योद्धा और डर का व्यापार
पत्रकार रवि प्रकाश को लंग्स का कैंसर 2021 में डिटैक्ट हुआ। जब डिटैक्ट हुआ तो कैंसर का चौथा फेज था। जाहिर था कि नाउम्मीदी चेतना पर पसर गई थी। मगर रवि प्रकाश ठहरे नहीं, न हताश-निराश हुए