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क़ानूनों से देश सुरक्षित नहीं होता

आजकल भारतीय राजनीति के पटल पर दो शब्दों ने क़ब्ज़ा जमा रखा है- संविधान विरोधी और देशद्रोही कब कहाँ ये शब्द चस्पा हो जायेंगे कहा नहीं जा सकता

फूट और झूठ के सहारे ‘वैतरणी’ पार करने के कुत्सित प्रयास

भारतीय जनता पार्टी तीसरी बार राज्य में सत्ता में वापसी के लिये ज़ोर आज़माइश कर रही है जबकि कांग्रेस पार्टी दस वर्षों के बाद सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाये बैठी है

जयंती विशेष: राष्ट्र के महानिर्माता, दीनदयाल उपाध्याय

भारत के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले पं दीनदयाल उपाध्याय कुशल संगठक, बौद्धिक चिंतक और भारत निर्माण के स्वप्नदृष्टा के रूप में आज तलक कालजयी हैं।

यक्ष, गाँधी और भगत सिंह

दौड़ती भागती ट्रेन की खिड़कियों से बाहर के दृश्य आकर्षक लगते हैं। सरकते पेड़-पौधे, रेल की पटरियां, गांव-घर, लोग, धान की हरीतिमा। कहीं कहीं पहाड़ और वे पहाड़ बरसात में जंगल बनने को आतुर रहते हैं।

चर्चा है चर्बी की

नेताओं की चढ़ी चर्बी चिंता का विषय रही है। बहुत ही चर्बीदार हो रहे हैं लोग। चर्बी का अपना एक वर्गीय चरित्र है। यह चर्बी वर्गविहीन समाज की स्थापना में बहुत बड़ी बाधा है। इस बाधा को दूर करने की सदियों-सदियों से कवायद हो रही है पर यह सवाल सनातन…

अब नहीं आता गुलाब छड़ी बेचने वाला जोखन

सामने की सड़क पर दो-तीन छोटे बच्चे साइकिल से प्रतिस्पर्धात्मक दौड़ लगा रहे थे। उनमें एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ थी। वैसे भी मनुष्य का जीवन आजकल एक-दूसरे को पछाड़, आगे निकल जाने की होड़ को समर्पित हो चुका है। बच्चे क्यों अपवाद बनें?