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वृद्ध दिवस पर वृद्धों की चिंता ?
संयुक्त परिवार का एकल परिवार में बदल जाना भी वर्तमान आर्थिक-सामाजिक व्यवस्था की अनिवार्य परिणति है। इन स्थितियों से मुक्ति वृद्ध दिवस, बाल दिवस, युवा दिवस, पृथ्वी दिवस और पर्यावरण दिवस मनाने से नहीं, व्यवस्था परिवर्तन से ही सम्भव है।
जेल, जमानत और सत्ता के खेल
और दिन की तरह दो अक्तूबर भी बीत गया। सीधा-सादा दिन। कहीं महात्मा गाँधी की प्रतिमा पर फूल मालाएँ चढ़ीं, कहीं लालबहादुर शास्त्री की प्रतिमा पर।
आसान नहीं जन सुराज को इग्नोर करना
शराब नीति की प्रशांत ने धज्जियाँ उड़ा दी। प्रशांत ने कहा कि शराब बंदी को ख़त्म करना उनकी पहली प्राथमिकता है।
साईं मंदिर पर शंकराचार्य का बुलडोजर
साईं पर संकट अचानक नहीं आया है। कई वर्षों से सेकुलरपीठ के शंकराचार्य यह सवाल उठाते आ रहे हैं कि साईं एक नकली भगवान हैं। इनका नाम चाँद मियां है। इनकी पूजा बंद होनी चाहिए। साईं ने हिन्दू धर्म में घुसपैठ की है। यह घुसपैठिया भगवान है।
हाड़ मांस के एक पुतले की याद
गांधी के निंदक भी, खुद को गांधी से मुक्त नहीं कर पाते। इस व्यक्ति में ऐसा कुछ तो था ही, जिसे नाथूराम की गोली मार नहीं सकी।
जयंती विशेष: गांधी को याद करते हुए
बापू ! आज 2अक्टुबर है। आपकी 155वीं जयंती। देश भर में आज के दिन आपको याद करने की, आजादी आंदोलन में आपके योगदान की चर्चा करने की, आपके आदर्शों पर चलने वास्ते कसमे खाने की धूम मची है। आपके नाम का कीर्तन करते, आपके सिद्धान्तों के विरुद्ध आचरण…
अमर हो गए मल्लिकार्जुन !
मल्लिकार्जुन को स्वनामधन्य होना चाहिए, पर ये तो उल्टी दिशा में चल पड़े हैं ? इनके मुख से बयानों की जो मिनरल धारा बह रही है वह निर्मल नहीं, बल्कि मिनरल राजनीति को ही जन्म दे रही है? पाखंड पवित्रता का प्रतीक नहीं होता। मोदी को हटाये बिना प्राण…
बाढ़ में भंसते भक्त और भगवान
मंदिर भी डूब रहे, मस्जिद भी। बाढ़ किसी की नहीं सुन रही। वह अंधी, बहरी, गूँगी हो गयी है। लोग लाख मनाने की कोशिश करते हैं, वह मान ही नहीं रही है। हर दिन उसका रौद्र रूप डराता है जन मानस को।
समाज को आज जरूरत है एक अदद ‘सूरदास ‘की
किसी रचनाकार की कृतियों का सही मूल्यांकन उसके समय की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पृष्ठ भूमि को नजर अंदाज कर नहीं किया जा सकता। लेखक ने जिन राजनीतिक-सामाजिक परिस्थितियों में इस उपन्यास को लिखा है, वह देश के आजादी आंदोलन का दौर था।
सत्ता विरोधी लहर के साथ भीतरी कलह से भी जूझती भाजपा
भारतीय जनता पार्टी की ओर से पिछले दिनों चुनाव प्रचार के दौरान ही कई ऐसे संकेत मिले जो पार्टी नेताओं के मतभेदों को स्पष्ट रूप से उजागर करने वाले हैं