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इन दिनों
वचन जाये पर जान न जायी
इन दिनों राँची की सड़कों पर घूमता रहता हूँ । कम से कम सुबह डेढ़ से दो घंटे। सड़क नापते हुए कई मुहल्लों का भूगोल समझने लगा हूँ । जहां मैं रहता हूँ, वहाँ अपार्टमेंट क्रांति हो रही है। अपार्टमेंट पर अपार्टमेंट बन रहे हैं । पूर्व से बने हुए हैं…
जब मूंछों से मूंछ टकराये
युद्ध मूँछों की लड़ाई है। मूँछें हर वक़्त तनी रहे। तनी मूँछों ने बहुत बखेड़े खड़े किए हैं । वे बलि माँगती है । वह भी ज़िंदा आदमी की। यूक्रेन के राष्ट्रपति की मूँछें थोड़ी छोटी हैं, लेकिन उसे अमेरिका ने थाम रखी है। मूँछें गिरे नहीं । वह तनी…
क्या तुमने फ़िराक़ को देखा है?
फ़िराक़ ने लिखा था- “ बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते है/ तुझे ऐ ज़िंदगी, हम दूर से पहचान लेते हैं ।” उनका मानना था-“ देवताओं का ख़ुदा से होगा काम/ आदमी को आदमी दरकार है ।”
राजनीति के मोहरे हैं अब विकास लिंडा
विकास लिंडा की मौत हो या डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार - वे कब और कहां राजनैतिक हथियार बनेंगे, यह कहा नहीं जा सकता। नेता गण गिद्ध बने बैठे हैं। तत्काल लाश नोचने लगते हैं। असम के दुर्नाम मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा ने तो झारखंड में गंध मचा रखी है।…
झूठ के पाँव, ठाँवें ठाँव
झूठ के पाँव नहीं होते। वह बिना पाँव के चलता है । यहॉं- वहाँ, जहॉं- तहाँ । पाँव के बिना ग़ज़ब की रफ़्तार होती है उसमें।वह दिल्ली से चलता है तो क्षण में राँची पहुँच जाता है । मैं राँची में रहता हूँ, इसलिए यहाँ जल्दी बुला लिया। वरना , वह कहीं…