साईं मंदिर पर शंकराचार्य का बुलडोजर

साईं पर संकट अचानक नहीं आया है। कई वर्षों से सेकुलरपीठ के शंकराचार्य यह सवाल उठाते आ रहे हैं कि साईं एक नकली भगवान हैं। इनका नाम चाँद मियां है। इनकी पूजा बंद होनी चाहिए। साईं ने हिन्दू धर्म में घुसपैठ की है। यह घुसपैठिया भगवान है।

जयंती विशेष: गांधी को याद करते हुए

बापू ! आज 2अक्टुबर है। आपकी 155वीं जयंती। देश भर में आज के दिन आपको याद करने की, आजादी आंदोलन में आपके योगदान की चर्चा करने की, आपके आदर्शों पर चलने वास्ते कसमे खाने की धूम मची है। आपके नाम का कीर्तन करते, आपके सिद्धान्तों के विरुद्ध आचरण…

कांग्रेस से सबसे अधिक नाराजगी दलित, पिछड़े और वंचित समाज को : पीएम

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि हरियाणा में कांग्रेस के भीतर जो कलह मची है, उसे भी यहां के लोग देख रहे हैं। कांग्रेस से सबसे अधिक नाराजगी तो दलित, पिछड़े, वंचित समाज की है। दलित समाज ने भी ठान लिया है कि वो बाप-बेटे की राजनीति को चमकाने…

अमर हो गए मल्लिकार्जुन !

मल्लिकार्जुन को स्वनामधन्य होना चाहिए, पर ये तो उल्टी दिशा में चल पड़े हैं ? इनके मुख से बयानों की जो मिनरल धारा बह रही है वह निर्मल नहीं, बल्कि मिनरल राजनीति को ही जन्म दे रही है? पाखंड पवित्रता का प्रतीक नहीं होता। मोदी को हटाये बिना प्राण…

बाढ़ में भंसते भक्त और भगवान

मंदिर भी डूब रहे, मस्जिद भी। बाढ़ किसी की नहीं सुन रही। वह अंधी, बहरी, गूँगी हो गयी है। लोग लाख मनाने की कोशिश करते हैं, वह मान ही नहीं रही है। हर दिन उसका रौद्र रूप डराता है जन मानस को।

समाज को आज जरूरत है एक अदद ‘सूरदास ‘की

किसी रचनाकार की कृतियों का सही मूल्यांकन उसके समय की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पृष्ठ भूमि को नजर अंदाज कर नहीं किया जा सकता। लेखक ने जिन राजनीतिक-सामाजिक परिस्थितियों में इस उपन्यास को लिखा है, वह देश के आजादी आंदोलन का दौर था।

सत्ता विरोधी लहर के साथ भीतरी कलह से भी जूझती भाजपा

भारतीय जनता पार्टी की ओर से पिछले दिनों चुनाव प्रचार के दौरान ही कई ऐसे संकेत मिले जो पार्टी नेताओं के मतभेदों को स्पष्ट रूप से उजागर करने वाले हैं

गोबर लपेसने के यज्ञ में बूढ़े

कोरोना देश में फैला था तो लोग दहशत में थे। आदमी-आदमी के पास नहीं जाना चाहता था। किसी को छींक हुई कि लोग भयभीत हो जाते थे। लगता था कि कोरोना दस्तक दे रहा है। ऐसे मौसम में बहुत से ज्ञानी जनम ले लेते हैं।

भाजपा: भगवती जागरण पार्टी !

राजनीति को पहले अपना धर्म निभाना चाहिए। जो काम मठ और मंदिर का है, साधु और महात्मा का है, वह काम सरकार न करे। अधार्मि-आचरण लेकर अधार्मिक-अभियान में शामिल होना अशोभनीय है, इसे कतई सराहा नहीं जा सकता है।