स्वास्थ्य विभाग की 850 करोड़ की लागत की विभिन्न परियोजनाओं का किया उद्घाटन एवं शिलान्यास

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने शनिवार को इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आई०जी०आई०एम०एस०) परिसर में 188 करोड़ रुपये की लागत से नवनिर्मित क्षेत्रीय चक्षु संस्थान का शिलापट्ट अनावरण कर…

‘देखो अपना देश, पीपुल्स च्वाइस 2024’ पहल के लिए 15 सितंबर तक मतदान

पर्यटन मंत्रालय ने 'भारत की जनता' की नब्ज को समझने के लिए पहली बार राष्ट्रव्यापी आईपी (बौद्धिक संपदा) 'देखो अपना देश, पीपुल्स च्वाइस 2024' पहल विकसित की है। इस पहल की शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 7 मार्च, 2024 को श्रीनगर में की…

सरकारी विद्यालयों में 83 करोड़ की लागत से 2789 योजनाओं को डीएम ने दी स्वीकृति

जिले के सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को भौतिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के निमित्त 83 करोड़ की 2789 योजनाओं के क्रियान्वयन की मंजूरी जिला पदाधिकारी श्री सुब्रत कुमार सेन द्वारा दी गई है ताकि सरकारी विद्यालयों में बच्चों के लिए न केवल…

आखिर कैसे बनेगा बेनीपुरी के सपनों का देश ?

आज सितम्बर महीने की 7 तारीख है। कलम के जादूगर पत्रकार ,साहित्यकार ,राजनेता रामवृक्ष बेनीपुरी का स्मृति दिवस। आज ही के दिन आज से 56 साल पहले इस स्वप्नदर्शी साहित्यकार और समाजवादी राजनेता बेनीपुरी का निधन हुआ था। स्वप्नदर्शी इसलिए भी कि…

वचन जाये पर जान न जायी

इन दिनों राँची की सड़कों पर घूमता रहता हूँ । कम से कम सुबह डेढ़ से दो घंटे। सड़क नापते हुए कई मुहल्लों का भूगोल समझने लगा हूँ । जहां मैं रहता हूँ, वहाँ अपार्टमेंट क्रांति हो रही है। अपार्टमेंट पर अपार्टमेंट बन रहे हैं । पूर्व से बने हुए हैं…

बिहार में बयानों के बयार हैं,निशाने पर नीतीशे कुमार हैं

मौसम का मिजाज देख सत्ता भी अपना मिजाज बदल रही है। सत्ता फिर करवट लेगी या किस करवट लेगी ? जितना मुँह उतनी बातें हो रही है। राजग गठबंधन पर भदवा लगता दिख रहा है। आशंकाओं के बादल उमड़-घुमड़ रहे हैं। सत्ता बदलने के पहले जैसा वातावरण होता है या…

जब मूंछों से मूंछ टकराये

युद्ध मूँछों की लड़ाई है। मूँछें हर वक़्त तनी रहे। तनी मूँछों ने बहुत बखेड़े खड़े किए हैं । वे बलि माँगती है । वह भी ज़िंदा आदमी की। यूक्रेन के राष्ट्रपति की मूँछें थोड़ी छोटी हैं, लेकिन उसे अमेरिका ने थाम रखी है। मूँछें गिरे नहीं । वह तनी…

साथी, दूर जाना

सुबह से ही यह पंक्ति मन में उमड़ - घुमड़ रही थी। साथी, दूर जाना।साथी , दूर जाना। मैंने मन से पूछा - कितनी दूर जाना? कहां जाना? कहीं कोई और तड़प तो नहीं है? महादेवी वर्मा वाली या हरिवंशराय बच्चन वाली? वे दूर जाना दूर जाना लिखते रहे और धरती…

क्या तुमने फ़िराक़ को देखा है?

फ़िराक़ ने लिखा था- “ बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते है/ तुझे ऐ ज़िंदगी, हम दूर से पहचान लेते हैं ।” उनका मानना था-“ देवताओं का ख़ुदा से होगा काम/ आदमी को आदमी दरकार है ।”