बी एस एन एल : कहीं भीतरघात का शिकार तो नहीं ?

बीएसएनएल भारत सरकार के पीएसयू का एक प्रमुख एवं लोकप्रिय उपक्रम है। बीएसएनएल का स्वामित्व दूरसंचार विभाग के पास है और दूरसंचार विभाग संचार मंत्रालय का एक हिस्सा है।भारत सरकार ही बीएसएनएल की 100% शेयर पूंजी का मालिक भी है।

लुप्त हो गये गांव के हस्त शिल्प और कुटीर उद्योग

दो दिन पहले मेरे टोले में एक 8-10 साल का लड़का साईकिल के कैरियर पर बांस से बनी चार टोकरियां लादे, बेंचने आया था। मैंने टोकरी की जब कीमत पूछी तो उसने कहा, पापा ने सौ रूपये में बेंचने को कहा है। उसका मतलब था सौ रूपये में एक टोकरी।

निठल्ले के प्रवचन

एक आदमी को कितना हलाल करोगे? जब व्यक्ति मजदूरी कर रहा है, वह भी टैक्स भर रहा है। कहां गया था- वन नेशन, वन टैक्स। इस काम को सरकार कर नहीं सकी तो अब वन नेशन, वन इलेक्शन का नारा है। जबकि सरकार भी जानती है कि यह व्यवहारिक नहीं है

आक्समिक नही है नेताओं का चारित्रिक अवमूल्यन

देश में आजादी आंदोलन चल रहा था। अपने नेता के आह्वान पर झुंड के झुंड युवक व युवतियां आंदोलन में शामिल हो रहे थे। अपने प्राणों की आहुति दे रहे थे। उनके दिलों में अपने नेताओं के प्रति बड़ा सम्मान भाव था। तब नेताओं में खुदगर्जी की कोई भावना…

न गिद्ध रहे, न गिद्ध दृष्टि

नदियों की बर्बादी में किसका हाथ है? अगर हम कहते हैं कि नदियों को गंदा करना बंद करो, तो क्या बंद हो जायेगा? नदियाँ क्या इस व्यवस्था से अलग है? व्यवस्था इसी तरह की रहेगी, तो नदियों को कोई बचा सकता है?

चुनाव के बोझ से दबा लोकतंत्र

नेताओं की जीभ जब फिसलने लगे। इनके अनाप-शनाप बयान आने लग जाए। हिन्दू-मुसलमान, जातीय और साम्प्रदायिक दंगे भी होने लग जाए। ईडी, सीबीआई एक्टिव हो जाए। कुछ नेता और कार्यकर्ताओं के मारे जाने की खबर भी आने लग जाए तो आप अंदाजा लगाने में देर नहीं…

महाराष्ट्र में एक तो झारखंड में 2 चरण में मतदान, 23 नवंबर को रिजल्ट

महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बज गया। चुनाव आयोग महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। महाराष्ट्र में एक चरण में तो झारखंड में दो चरण में मतदान होंगे।

बुद्ध से बुद्धू तक का सफ़र

होने का कुछ भी हो सकता है। जब पैंतीस वर्ष का पुत्र सत्तर वर्षीया माँ को पीट-पीट कर हत्या कर सकता है और घर में ही धरती के अंदर गाड़ सकता है, प्रेमिका को टुकड़े-टुकड़े में काट कर फ्रिज में रख सकता है, नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार हो सकता…

छात्रों का राजनीति में शामिल होना जरूरी

"जब वक्त पड़ा गुलिस्तां को, खूं मैंने दिया, अब बहार आई तो कहते, तेरा काम नहीं'। यह कथन उन राजनेताओं के लिए बिल्कुल सटीक है जो छात्र-युवाओं की कुर्बानी के बल पर सत्ता हासिल करने के बाद उनको राजनीति से अलग रहने की नसीहत देते हैं।