अमित शाह अपनी पॉलिटिक्स में पतंग की डोर कभी ढीली नहीं छोड़ते?
चिराग अपने तले के अंधेरा को कभी महसूस नहीं कर पाए और लगे अपनी चाल चलने.अमित शाह ने ऐसा खेल खेला कि चिराग पासवान,आसमान से सीधे ज़मीन पर आ गिरे.चिराग ने भाजपा को बहुत हल्के में लेना शुरू किया था.कितनी पार्टियां भाजपा के गाल में समा गई इसे चिराग ने जानकर भी नजरअंदाज किया.
अमित शाह अपनी पॉलिटिक्स में पतंग की डोर कभी ढीली नहीं छोड़ते? चिराग पासवान ने राजग में रहकर राजग से ही बैर करना शुरू कर दिया था? जल में रहकर मगर से बैर नहीं किया जाता? बात बहुत बिगड़ती कि इसके पहले ही चिराग सावधान हो गए.
भयभीत चिराग फिर लगे गिड़गिड़ाने कि वह भाजपा का अविभाज्य हिस्सा है.चिराग ने स्थिति को भाँपते हुए फिर से वही हनुमान-चलीसा पढ़ने लग गए हैं.हाथ मलने के बजाय चिराग को छाती फाड़कर हनुमान दिखाना ही उचित लगा.
चिराग जम्मू-कश्मीर के चुनाव में हस्तक्षेप करने जा रहे हैं.झारखण्ड में भी अपना उम्मीदवार उतार रहे हैं.पहले चिराग ने कहा था कि वे अकेले ही चुनाव में जाएंगे.सत्ता तो दम्भ पैदा कर ही देती है.चिराग की चाल बदलने लगी और चरित्र भी बदलने लगा?इसको लेकर राजग लगातार असहज होता रहा.लेटरल-इंट्री का मामला हो,कृमि-लेयर का मामला हो या जाति-जनगणना का प्रश्न हो,चिराग हमेशा राजग से अलग स्टैंड लेते नजर आये?
अमित शाह चुप अवश्य थे पर उनकी शल्य-चिकित्सा शुरू हो गई.शाह के राडार से बचना बहुत ही मुश्किल है.
अमित शाह ने भतीजा को औकात बताने के लिए चाचा पशुपति पारस से मुलाक़ात की.इनके तीन सांसदों के टूटने की भी कहानी सामने आयी. इससे साफ संकेत गया कि अमित शाह के पास विकल्प की कमी नहीं है ? मुकेश साहनी के साथ जो खेला हुआ था वही खेला चिराग के साथ होना तय था.चिराग तुरत येलर्ट मोड में आ गए और फिर इन्होने भाजपा का भजन कीर्तन करना शुरू कर दिया.
चिराग को अपनी सीमा का ख्याल रखना चाहिए.अगर इन्हे कोई अलग स्टैंड लेना है तो पहले इन्हे मंत्रीमंडल से इस्तीफ़ा देना चाहिए. किसी भी गठबंधन मे सामूहिक उत्तरदायित्व जरूरी है. न कोई सिद्धांत न ही कोई संगठन बस केवल जातीय गिरोह बनाकर समाज परिवर्तन कैसे करेंगे चिराग? पार्टी के पास अपना कुछ नहीं है.जो कुछ है सब बासी और प्रवासी.चल उड़ जा रे पंक्षी यह दल हुआ बेगाना…आज हो या कल यह संगीत चिराग के कानो में गूंजेगा.