नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के दो सन्यासियों से जुड़े मामले में बड़ी राहत दी। फाउंडेशन के खिलाफ रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। आरोप था कि आश्रम में उनकी बेटियों लता और गीता को बंधक बनाकर रखा गया है।
सद्गुरु ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद दोनों संन्यासिनों से बातचीत की उन्होंने बताया कि वे अपनी मर्जी से फाउंडेशन में रह रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें पुलिस को उनके आश्रम की तलाशी लेकर जानकारी जुटाने का आदेश दिया गया था। फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि लगभग 500 पुलिस अधिकारियों ने फाउंडेशन के आश्रम पर छापेमारी की है और हर कोने की जांच कर रहे हैं।सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी।