संयुक्त परिवार का एकल परिवार में बदल जाना भी वर्तमान आर्थिक-सामाजिक व्यवस्था की अनिवार्य परिणति है। इन स्थितियों से मुक्ति वृद्ध दिवस, बाल दिवस, युवा दिवस, पृथ्वी दिवस और पर्यावरण दिवस मनाने से नहीं, व्यवस्था परिवर्तन से ही सम्भव है। और, व्यवस्था परिवर्तन वोट से सरकारें बदल कर नहीं की जा सकतीं श्रीमान।
(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए The Dialogue उत्तरदायी नहीं है।)