बाबा विजयेन्द्र
सबका संकट दूर करने वाले शिर्डी वाले साईं अब स्वयं संकट में आ गए हैं। इन्हें मंदिर से बेदखल किया जा रहा है। अब ये कोई भगवान नहीं रह गए हैं। बड़े बेआबरू होकर साईं निकल रहे हैं हिन्दू मंदिरों से। यह ठीक नहीं हो रहा है। जिनको शरण दिया उनके प्रति संशय पालना ठीक नहीं है। जितना दान-दक्षिणा मिलना था, वो मिल गया इन्हें? नोट गिनने वाली मशीनें भी इनकी अब जंग खाएगी। जो हुआ सो हुआ अब यह सब नहीं होगा हिन्दुस्तान में। भगवान की सत्ता में किसी प्रकार की घुसपैठ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर इसी तरह भागवत-सत्ता में घुसपैठ हुई तो हिंदुओं के तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं का क्या होगा?
बहुत सारे देवी-देवता पहले से उपेक्षित पड़े हुए हैं। सबको तो भोग लगाया नहीं जा रहा है। इस स्थिति में अतिरिक्त भगवान की व्यवस्था कैसे होगी? यह वास्तव में चिंता की बात है। उपेक्षित देवी-देवताओं के आरक्षण और संरक्षण के सवाल भी देश के बड़े सवाल बन गए हैं। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। भगवान बचेंगे तो इंसान भी बचेंगे। सरकार करे भी तो क्या करे? भगवान की असली संख्या इन्हें भी पता नहीं। सरकार को भी पता नहीं है कि देवताओं की वास्तविक स्थिति क्या है? देवताओं की गणना कब हुई थी यह किसी को पता नहीं है। जो भी हो साईं के बहाने देश में देवगणना हो जाए तो बड़ी बात होगी। सबके लिए मंदिर जरूरी हैं। संकट बड़ा है। सरकार अभी तक एक ही भगवान, राम को मंदिर दे पाए हैं। कितने वर्ष इन्हें उजड़े हुए आशियाने में रहने पड़े, यह हम सब जानते हैं। बस ही एक ही नारा गूंज रहा है कि जो देव की बात करेगा वही देश पर राज करेगा..
साईं पर संकट अचानक नहीं आया है। कई वर्षों से सेकुलरपीठ के शंकराचार्य यह सवाल उठाते आ रहे हैं कि साईं एक नकली भगवान हैं। इनका नाम चाँद मियां है। इनकी पूजा बंद होनी चाहिए। साईं ने हिन्दू धर्म में घुसपैठ की है। यह घुसपैठिया भगवान है। वैसे राजनीतिक घुसपैठिये तो पहले से ही बड़े सवाल बने हुए हैं देश के सामने। अब ऊपर से यह धार्मिक घुसपैठिया? इन्होने मंदिर-बाजार पर कब्ज़ा कर लिया है। इतनी बड़ी दक्षिणा की ताकत को खड़ा कर लेना नागवार गुजरा है हिन्दू धर्माचार्यों को? अंकुश जरूरी था। सो लग गया।
देश के मुसलमान नाराज कम, खुश ज्यादा है। कह रहे हैं कि और जाओ बूत परस्ती कराने? हो गया न खेल?
जगह से जगह से साईं के मंदिर से बेदखल होने की खबर आ रही है। मन दुःखी है। करोड़ों देवी देवताओं के बीच अगर एक देवता बढ़ भी जाते तो क्या हो जाता? बहुत होता तो तेंतीस करोड़ में एक और जुड़ जाते। बहुत ही नामवाला हो गए थे साईं? अब इन्हें सुनना पड़ रहा है कि मेरे मंदिर में तुम्हारा क्या काम है?
साईं दैविक-राष्ट्रवाद के लिए बहुत खतरा साबित हो सकते थे। लड्डू-पॉलिटिक्स के पिट जाने के बाद यह नया मुद्दा है भगवान-घोटाला का? सुप्रीम कोर्ट ने नायडू के लड्डू-पॉलिटिक्स की ऐसी-तैसी कर दी, यह आपको पता ही है। उस गुस्से में अचानक साईं पर हिन्दू धर्माचार्य अचानक पिल पड़े? शंकराचार्य के इस खिलाफत-आंदोलन के बाद संघ भी ‘साईं हटाओ आंदोलन’ में कूद पड़ा है। भैया जी जोशी का भी बयान आया है। संघ ने साई के सवाल को गैर-वाज़िब सवाल नहीं बताया। संघ जब कूद गया है तो किसी को शैतान या भगवान आसानी से बनाया जा सकता है।
हमें देवताओं पर भी गर्व है। इनका भारत प्रेम जगजाहिर है। विभाजन के बाद एक भी देवता पाकिस्तान या बांग्लादेश नहीं गए। उन्हें पता था कि उनके लिए मुफीद जगह भारत ही है। देवताओं के नायक राम और कृष्ण को जब मुसलमानों ने नहीं छोड़ा तो छोटे-मोटे देवताओं की क्या औकात होती इस्लामिक स्टेट में? सो सभी देवगण भारत में ही रहने का फैसला किया। इन्हें पता था कि मोदी जैसा महावीर देश में पैदा होगा और देवताओं की रक्षा करेगा। यह सब मोदी की ही महिमा है जिस कारण हिन्दू धर्म सुरक्षित है।
खैर, साईं का मामला है क्या? साईं का नाम चाँद मियां है। ये शिर्डी आये और यही बस गए। पिछली सदी की शुरआत में इन्होने शिर्डी में शरीर त्यागा। साईं हमेशा कहते थे कि अल्लाह मालिक है। सबका मालिक एक है यह कभी नहीं कहा। बताइये माल हिन्दू का और मालिक अल्लाह हो, यह सहने योग्य था? कुछ लोग कहते हैं कि साईं हिन्दू ही थे। मुसलमानों को सहलाने के लिए ऐसा बोलते थे। साईं सावधान हो गए होते तो इस तरह पद से अभी वंचित नहीं होते, मंदिर में ही जमे रहते। गाँधी ने भी यही भूल की थी कि उन्होंने ‘ईश्वर सत्य है’ यह कभी नहीं कहा और सत्य को ईश्वर कह दिया। तो गए काम से? बढ़िया हुआ कि साईं पहले चले गए अन्यथा गाँधी वाली गोली इन्हें भी खानी पड़ती?
सूफी फ़कीर की परम्परा का क्या होगा? क्या भारत के संतों को इनसे अलग किया जा रहा है? दरगाह में दबे बहुत सारे फ़कीर भी अब घबरा रहे होंगे कि उनका क्या होगा? साईं जब नहीं टिक पा रहे हैं तो तेरा क्या होगा रे फ़कीरा?
कबीर चौरा में भी सुगबुगाहट होगी। मगहर की भी गवाही होगी। कबीर हिन्दू या मुसलमान? अजमेर का क्या होगा? गला फाड़कर गाने वाले गायकों का क्या होगा? यहाँ चलने वाले धर्म उद्योगों का क्या होगा? ‘चादर बिछाओ हिन्दुओं’ यह कहके देखे कोई? वहीं उसे फाड़ दिया जाएगा। अब मजारों पर मेले नहीं लगेंगे? यहां झमेले ही होंगे।
मजार बहुत हैं पर सरकार के मजाल भी बहुत हैं। यह बुलडोजर एरा है। वक्फ बोर्ड के सवाल को लेकर देश के मुसलमान दिल्ली को घेर रहे हैं। उधर साईं बेदखल हो गए। साईं नहीं बचे तो कोई सलमान या रहमान क्या बचेगा? सोचना हिन्दू को भी है और मुसलमान को भी है। हम कहाँ आके उलझ गए हैं इसे समझना जरूरी है। इस नये हिंदुत्व से सनातन धर्म को भी खतरा है। सावधान होने की जरुरत है। बहराईच का भेड़िया सत्ता के आँगन में आ धमका है। इस भेड़िये के लिए हिन्दू मुसलमान कुछ नहीं है। यह किसी को भी शिकार बना सकता है।