बाबा विजयेन्द्र
मल्लिकार्जुन महादेव का दूसरा नाम है। महादेव गरल पीते हैं और समाज को अमृत प्रदान करते हैं। मल्लिकार्जुन को स्वनामधन्य होना चाहिए, पर ये तो उल्टी दिशा में चल पड़े हैं ? इनके मुख से बयानों की जो मिनरल धारा बह रही है वह निर्मल नहीं, बल्कि मिनरल राजनीति को ही जन्म दे रही है? पाखंड पवित्रता का प्रतीक नहीं होता। मोदी को हटाये बिना प्राण नहीं त्यागेंगे? मृत्यु पर इतनी पकड़। यह पकड़ नहीं बल्कि अकड़ ही है। आपको महादेव हो जाने का भान हो गया है। आप मृत्युंजय तो नहीं? बेहतर होता कि राहुल गाँधी संसद में महादेव का कैलेंडर दिखाने के बजाय मल्लिकार्जुन खड़गे का ही तस्वीर लेके जाते?
खड़गे में महादेव की आत्मा शायद घुस गई है। अब ये अजर अमर हो गए हैं। ये हैं कांग्रेस के असली महादेव? बोलो बाबा मल्लिकार्जुन की जय!
मल्लिकार्जुन के बयान में मृत्यु पर विजय पाने का संकेत दिखता है? किसी को यह नहीं पता कि कुछ पल के बाद क्या होना है? इनके बयान से तो यही सिद्ध होता है कि इन्हें मृत्यु पर विजय मिल गया है। इनका जीवन अब क्षणभंगूर नहीं बल्कि मोदीभंगूर हो गया है। जागते सोते बस मोदीनाम केवलम। कांग्रेस अपना कैवल्य मोदी में ही खोजती है? लगे रहो कांग्रेसी भाइयों! आप कहते कि मोदी को हटाने तक हम चैन से नहीं बैठेंगे, तो यह बात हजम हो जाती। नहीं मरूंगा का क्या मतलब? हद हो गयी भाई।
मोदी भी शिव साधक है। गनीमत है कि मल्लिका जी मोदी से यह नहीं कह रहे हैं कि विश्वनाथ की नहीं, बल्कि अब मेरी उपासना करो…? मैं ही सर्वशक्तिमान हूं।
अभी सौ तो पूरा कीजिये मल्लिका जी। सर्वशक्तिमान बाद में हो लीजियेगा।यह तो हिरनकश्यपु वाली कहानी हो गई? मल्लिका की सेहत पर उम्र का प्रभाव है। अवस्था विशेष में कुछ से कुछ बोल रहे हैं। मल्लिकाजी को यह बताना चाहिए मोदी को सर्वशक्तिमान बनाने में किसकी भूमिका रही है? क्या यह कांग्रेस की विफलता नहीं है? क्या कांग्रेस हार-हार कर भाजपा को विजयी नहीं बनाई है?
कांग्रेस की वर्तमान राजनीति मोदीनुमा राजनीति पर विराम नहीं लगा सकती है। व्यक्ति के हटाने का का कोई अर्थ नहीं है। मोदी व्यक्ति नहीं हैं एक विचार-प्रक्रिया की निष्पति भर है। मोदी एक कम्पन है और इसका केंद्र कहीं और है। मोदी को हटायेंगें तो मोदीनुमा कोई और व्यक्ति आयेंगें। क्या कांग्रेस हटाने में ही लगी रहेगी?
मोदी किरदार है परमात्मा की लिखी पटकथा का। सबके लिए भूमिका निर्धारित है। मोदी जी को जो करना है कर गुजरेँगे। पर आप तो कांग्रेस की लिखी पटकथा के किरदारी निभा रहे हैं। कांग्रेस कायनात नहीं है। इसके पास भविष्यपुराण नहीं है। कांग्रेस केवल गरुड़ पुराण है। यहां केवल पुरखो का पिंड दान किया जाना है। ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि आजादी के मायने बड़े हो सकते थे पर इन्होने आजादी को अराजक बना दिया।
कांग्रेस अजर नहीं, जड़ हो चुकी है। अमर नहीं बल्कि रोज मर रही है। इस मृत्युलोक में मल्लिका जी इसी तरह का बयान दे सकते हैं। इनकी पॉलिटिक्स अब यहां की लाश है।
आपको छोड़कर, हम सबको जाना है। एक दिन मोदीजी को भी जाना है। आप सदा जिन्दा ही रहेंगे? तो भी मोदी जी और हम सबको जाना है। हिंदुत्व का सार यही है।
आप अर्जुन भी हैं। थोड़ा भागवत ज्ञान ले लीजिये। पार्टी से अलग भी बहुत कुछ है। कांग्रेस अंतिम सत्य नहीं है। यह सनातन भी नहीं रहेगी। मेरा सुझाव है कि जीवन के इस सांझ में समाज को कुछ दे दें। आपके पास भागवत झा थे जो अब नहीं रहे, पर राहुल से ज्ञान मत लीजिये। हम तो डूबे हैं तुमको भी ले डूबेगे सनम.. कांग्रेस आपको कश्यप बना देगी। ऐसा नहीं कि प्रह्लाद सदा के लिए मर गए हैं। यह तत्व अभी भी जिन्दा है।
बात है नया समाज कैसा हो। सुन्दर समाज का सपना क्या है यह दिखाएं। मोदी महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण होगा आपका नैरेटिवस। अवधारणा की सियासत अर्थहीन है। बात मल्लिकाजी की मुक़्क़मल होनी चाहिए। नूरा कुश्ती मत खेलें। कांग्रेस और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।